अब नये दौड़ का राही हूँ




ना रुकी है कदमें ,
ना टुटा है साहस |
अपने पथ पे चलता हूँ ,
मंजिल अभी है, ख्वाईशे |
उसे लिखने वाला मै स्याही हूँ ,
नये सुबह की नई उमंगे |
अब नये दौड़ का राही हूँ ||



ना रुकी मेरी रवानी है ,
 ना झुकी मेरी जवानी है |
 चढ़ने को है पर्वत मुझे ,
पर्वतारोही बनना बाकी है |
मन बन चुका मन्दिर ,
अब ताजमहल बनना है |
मुश्किलों को पार कर ,
कहानी लिखने वाला मै स्याही हूँ |
नये सुबह की नयी उमंगे ,
अब नये दौड़ का राही हूँ |


ना टूटा  है, वैज्ञानिक कलाम सा सपने ,
ना रुकी है C. V. Raman सी कदमे |
बाकी है बनना टैगोर सी कलमे ,
अमिताभ बच्चन बन अभी झूमना बाकी है |
इस युग का अब नया सिपाही हूँ ,
नये सुबह की नई उमंगे ,
अब नये दौड़ का राही हूँ |


By:- Singh R.A Devendra

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